आज भी दिन ढले जब निकलता है चाँद
आपको देखे न तो सिसकता है चाँद
आपने है पुकारा यही सोचकर
चलते - चलते लगे की ठिठकता है चाँद
आप आये घड़ी दो घड़ी ही सही
दिल में आशा लगाये निखरता है चाँद
आप रो देंगे उसको दुखी देखकर
बस यही सोचकर मुस्कराता है चाँद
उसकी सारी निधि आप पर ही ख़तम
सारथी, सारथी की विकलता है चाँद
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