जो भी कही उन्होंने हर बात देख ली
मौसम के साथ इंसा की औकात देख ली
उनके किये हुए हर वादे खोखले थे
वादे वफ़ा के और वो मुलाक़ात देख ली
जिनको गवाँरा न था चलना बगैर मेरे
किस्मत वो अपना घेरो के साथ देख ली
जिनको पसंद नही था चेहरा बुझा हुआ भी
आंसू के वो हमारे बरसात देख ली
कल तक निधि कहा था फिर मौन आज क्यों है
मानो की सारथी ने तिलिस्मात देख ली
मौसम के साथ इंसा की औकात देख ली
उनके किये हुए हर वादे खोखले थे
वादे वफ़ा के और वो मुलाक़ात देख ली
जिनको गवाँरा न था चलना बगैर मेरे
किस्मत वो अपना घेरो के साथ देख ली
जिनको पसंद नही था चेहरा बुझा हुआ भी
आंसू के वो हमारे बरसात देख ली
कल तक निधि कहा था फिर मौन आज क्यों है
मानो की सारथी ने तिलिस्मात देख ली
bahut khoob ... acchee gazal hai ...
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