Followers

Showing posts with label गज़ल. Show all posts
Showing posts with label गज़ल. Show all posts

Monday, 3 August 2015

'सारथी' आज तेरे नाम से बदनाम हो जाये

इश्क़ जब पार करे हद तो वो नाकाम हो जाये
जो न गुज़रे हदों को तो क्यों ये गुमनाम हो जाये

इश्क़ मिलता नही किसी को है हकीकत ऐसी
सच्चा आशिक़ जो मिले, पाने को नीलाम हो जाये

जिनकी यादों में कही पर भी दिल नहीं लगता
उनकी यादों में आज फिर से एक जाम हो जाये

वफ़ा की राह में ठोकर के सिवा कुछ भी नही
इसमें जो भटके वो हर काम से बेकाम हो जाये

अबतलक तुमको छुपाया था निधि माने हुये
'सारथी' आज तेरे नाम से बदनाम हो जाये 

Friday, 31 July 2015

'सारथी' से जो इश्क़ बेशुमार करता था

वो शख्स हमपे बड़ा ऐतबार करता था
मेरी हर इक अदा पे दिल निशार करता था

जिसकी हर बात हमपे पहले असर होती रही
जब भी मिलता था हमें प्यार - प्यार करता था

ज़रा भी रूठें तो वो झट से मना लेना हमें
मनो वो रूठने का इंतज़ार करता था

ये बात और ज़माना हमें दोषी माने
इश्क़ हमसे तो वो दिवाना - वार करता था

क्यों न उसको निधि अभी भी कहे
'सारथी' से जो इश्क़ बेशुमार करता था 

'सारथी' हाथ अब मले जितने

आपसे दूर हो हिले जितने
आपके साथ थे चले जितने

अब वफ़ा से यकीं उठ सा गया
इस वफ़ा ने हमें छले जितने

पास जो आपके थे तो ठहरे नही
आपसे दूर हो हिले जितने

इतना सिगरेट न जला पाये
याद आने से दिल जले जितने

थी न उसकी निधि न उसको मिले
'सारथी' हाथ अब मले जितने 

'सारथी' को वही आज डसने चले

वो वफ़ा पर मेरे तंज़ कसने चले
घर कहीं था कहीं आज बसने चले

अब ज़माना हँसे है हमें देखकर
वो ज़माने के सग - संग हँसने चले

कोइ रोता रहे उनको परवाह क्या
ज़िन्दगी मई वो अपने बिहसने चले

कल तलक हमसफ़र मेरे दुख के रहे
जो दिखा जाल सोने की फसने चले

उम्र भर जिसको सींचा निधि मानकर
'सारथी' को वही आज डसने चले 



Thursday, 30 July 2015

हँसते - हँसते हमें अलविदा कह गये

वो हमारे हर इक हक़ अदा कर गये
अपने दिल से भी हमको जुदा कर गये

हो सके वो हमें भूल जाये मग़र
उनकी यादें हमें गुदगुदा कर गये

उनको आंसू हमारे दिखे भी नही
हँसते - हँसते हमें अलविदा कह गये

दिल लगाया किसी से किसी के हुये
दो दिलो को तो वो ग़मज़दा कर गये

ज़िन्दगी की निधि हो समर्पित उन्हें
'सारथी' को ख़ुदा से जुदा कर गये 

सारथी की विकलता है चाँद

आज भी दिन ढले जब निकलता है चाँद 
आपको देखे न तो सिसकता है चाँद 

आपने है पुकारा यही सोचकर 
चलते - चलते लगे की ठिठकता है चाँद 

आप आये घड़ी दो घड़ी ही सही 
दिल में आशा लगाये निखरता है चाँद 

आप रो देंगे उसको दुखी देखकर 
बस यही सोचकर मुस्कराता है चाँद 

उसकी सारी निधि आप पर ही ख़तम 
सारथी, सारथी की विकलता है चाँद 

यादों में 'सारथी' अब शाम न करे

कोई इश्क़ को जहां में बदनाम न करे
करना है इश्क़ तो फिर नाकाम न करे

राहे बहुत कठिन है चलना संभल - संभल के
ये इश्क़ अब किसी को बेकाम न करे

रूक जाये ठहरे देखे समझ कर कदम रखें
हिम्मत न जिगर मई तो ये काम न करे

उठ जाये न यकीं ज़माने का इश्क़ से
किस्सा - ए - बेवफाई सरेआम न करे

माना जिसे निधि था वो पाला बदल लिये
यादों में 'सारथी' अब शाम न करे

Wednesday, 29 July 2015

'सारथी' के बगैर ग़र संभल सको तो चलो

वफ़ा की राह कठिन है जो चल सको तो चलो 
तमन्ना मौत की पाले मचल सको तो चलो 

दिलो को तोड़ने वाले है ज़माने में बहुत 
ऐसे दुश्मन की नज़र से निकल सको तो चलो 

बेवफाई के है खतरे कदम - कदम पे यहाँ 
अपनी रहो को अगर तुम बदल सको तो चलो 

झूठे वादों से भरी एक फरेब की नगरी 
इन्ही वादों के बदौलत बहाल सको तो चलो

कभी न मानो किसी को अपने जीवन की निधि 
'सारथी' के बगैर ग़र संभल सको तो चलो 

खुद को खुद से कभी जुदा न करे

खुद को खुद से कभी जुदा न करे 
इश्क़ करके ख़ुदा - ख़ुदा न करे 

गो की वो इश्क़ काम फ़रेब ही था 
हँसते - हँसते कोई विदा न करे 

इश्क़ मई आँशु है क़ुबूल हमें 
इश्क़ समझे वो ये ख़ुदा न करे

उनसे बस इतना ही तो माँगा था 
दिल किसी और पर फ़िदा न करे 

थे कभी जो किसी जीवन की निधि 
सारथी को वो अलविदा न करे 

रुख हवा देखकर अक़सर बदल जाते है लोग

रुख हवा देखकर अक़सर बदल जाते है लोग
कल तलक मिलते थे दिल से आज कतराते है लोग

अपनोँ से मिलती ख़ुशी ये लोग कहते सभी
अपनोँ से क़तरा के फ़िर क्योँ ग़ैर अपनाते है लोग

ज़िँदगी की राह जो है काँटोँ से मिलकर बनी
काँटोँ पर चलने से फिर क्योँ इतना घबराते है लोग

बेवफ़ाई ख़ुद मेँ हो और दूजे को ईल्ज़ाम देँ
ख़ुद की भी अग़्नि-परीक्षा क्योँ न करवाते है लोग

जो निधि हो ग़ैर की तो आपको फ़िर क्योँ मिले
सारथी इतना सा फ़िर क्योँ न समझ पाते है लोग

Tuesday, 26 May 2015

किस बात पर कहते हो तुझे प्यार है

किस बात पर कहते हो तुझे प्यार है
छोड़ कर जाना ही तेरा इक़रार है

कर दिया सौदा वफ़ा का मेरे सनम
क्यों, अब भी इस बात से इंकार है

गिना दी तूने मजबूरियाँ कई सारी
हालात में ढलना ही तेरा प्यार है

थी उम्मीद की समझोगे मेरे प्यार को
तेरी अदा से वफ़ा भी दागदार है

लड़ लोगे ज़माने से कहते रहे थे तुम
कहा भी नहीं, कोई और राज़दार है 

 

Tuesday, 16 December 2014

सारथी ये भी फ़लसफ़ा तो नहीं

दिल किसी बात पर खफ़ा तो नहीं
कैसे कह दूँ , मैं बेवफ़ा तो नहीं

वो मेरे पास ही तो है, फिर भी
वक़्त की मार ये जफ़ा तो नहीं

भूल जायेंगे हम उन्हें भरसक
यह वफ़ा भी कोई, वफ़ा तो नहीं

इश्क़ में है ही क्यूँ यकीं इतना
इश्क़ से है कोई नफ़ा तो नहीं

इश्क़ तो इश्क़ है कभी ना करें
'सारथी' ये भी फ़लसफ़ा तो नहीं  

Sunday, 18 September 2011

तेरी याद आ गई ............

फिर छा गई है बदरी , तेरी याद आ गई
फुलोँ पे देख भँवरे तेरी याद आ गई

जब भी की कोशिशेँ मैँ भुलने की वो शमां
अनजाने रहगुजर से तेरी याद आ गई

तुमको नहीँ पता मैँ करता हूँ इंतजार
तुम आओ या न आओ तेरी याद आ गई

आमोँ की डालियोँ पर कोयल की सुनकर
फुलोँ की क्यारियोँ मेँ तेरी याद आ गई

सबने हमीँ से पुछा पुनम की चाँद को
वो बात क्या छुपायी तेरी याद आ गई

मौसम ने की शिकायत जिँदगी से एक दिन
मैँ रह गया था तन्हा तेरी याद आ गई

चाहा जो जाना इकदिन खुद से खुदा से दुर
है शुक्र - ए - खुदाया तेरी याद आ गई

है ऐतबार मुझको वफा पे मेरे सनम
सुना लफ्ज़े बेवफ़ाई तेरी याद आ गई

होता जो कोई मेरे दिल का भी ' सारथी '
कोशिश की ढुढने की तेरी याद आ गई