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Monday, 3 August 2015

'सारथी' आज तेरे नाम से बदनाम हो जाये

इश्क़ जब पार करे हद तो वो नाकाम हो जाये
जो न गुज़रे हदों को तो क्यों ये गुमनाम हो जाये

इश्क़ मिलता नही किसी को है हकीकत ऐसी
सच्चा आशिक़ जो मिले, पाने को नीलाम हो जाये

जिनकी यादों में कही पर भी दिल नहीं लगता
उनकी यादों में आज फिर से एक जाम हो जाये

वफ़ा की राह में ठोकर के सिवा कुछ भी नही
इसमें जो भटके वो हर काम से बेकाम हो जाये

अबतलक तुमको छुपाया था निधि माने हुये
'सारथी' आज तेरे नाम से बदनाम हो जाये 

1 comment:

  1. क्या बात अच्छे शेर हैं ग़ज़ल के ...

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