ग़म नहीं इस बात का कि तुमने हमें भुला दिया
गम रहा तो फ़क़त ये कि हम न तुम्हे भुला सके ।
तुमने बहुत कहा मुझे सुन ली तेरी हर दास्तां
बस तेरी दर्द-ए-जफ़ा किसी को न सुना सके ।
काट ली हर रात यों यादों के तेरे वास्ते
सो गई दुनिया, पर खुद को न हम सुला सके ।
बह गये जज्बात मेरे इस नदी की धार में
इक तेरे गम ही रहा जिसको न हम बहा सकें ।
हिल गया दिल ये मेरा सुनके वफ़ा की राह को
तुम तो वो जमीन हो जिसको न हम हिला सके ।
गम रहा तो फ़क़त ये कि हम न तुम्हे भुला सके ।
तुमने बहुत कहा मुझे सुन ली तेरी हर दास्तां
बस तेरी दर्द-ए-जफ़ा किसी को न सुना सके ।
काट ली हर रात यों यादों के तेरे वास्ते
सो गई दुनिया, पर खुद को न हम सुला सके ।
बह गये जज्बात मेरे इस नदी की धार में
इक तेरे गम ही रहा जिसको न हम बहा सकें ।
हिल गया दिल ये मेरा सुनके वफ़ा की राह को
तुम तो वो जमीन हो जिसको न हम हिला सके ।
जज्बात यूँ बहे ना जलती रहे मशाल
ReplyDeleteमतला बिना ग़ज़ल की खुशबू खिला सके
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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