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Saturday 16 March 2019

तेरे साथ हर जमाना अच्छा लगे हमें

तेरे साथ हर जमाना अच्छा लगे हमें
तुझे हरवक़त सताना अच्छा लगे हमें

तू खुश रहे हमेशा, रहे आरज़ू यही
तेरा यूँही मुस्कराना अच्छा लगे हमें

वो चाँद-बदरी होंगे ग़ज़ल की किताब में
तेरे जुल्फ का हटाना अच्छा लगे हमें

कुछ बात तो छुपाना तहे दिल से चाहें हम
हर बात को बताना अच्छा लगे हमें

आदत मेरी हमेशा आवारा हो भले ही
तेरा मुझपे हक़ जताना अच्छा लगे हमें

  

Thursday 14 March 2019

खेत हरदम तुम्हारी फ़िक्र किया करते है



अपने खेतों की बात तुम भलें करो न करो
खेत हरदम तुम्हारी फ़िक्र किया करते है

वो जो मशगूल हैं बस धर्म की सियासत में
क्या किसानों का कभी दर्द बयां करते है 

ऐसा नहीं की हमने चाहत नहीं की है

ऐसा नहीं की हमने चाहत नहीं की है
हां सच है किसी की कभी आदत नहीं की है 

ये गुमां हमें होता रहा बरसो मैं क्या कहूँ 
सच ये भी है किसी से अदावत नहीं की है 

है चाँद जो रहे तो रहे अपनी जगह पे 
जो भी मिला नशीब में, खयानत नहीं की है

है आरज़ू मुझे तेरी, कैसे कहूँ भला  
मैंने कभी भी खुल के वज़ाहत नहीं की है 

तेरी बात, मुस्कराहट, ये शोख़ी, बांकपन 
वरना कभी किसी पे हैरत नहीं की है