कहाँ गया वह मेरा बचपन ,
कहाँ गयी उसकी अंगराई ,
कहाँ गया उच्छृंखल जीवन ,
क्योँ आती है ये तन्हाई ?
कहाँ गया ममता का आँचल ,
कहाँ गयी उसकी अंगराई ,
कहाँ गया वो लाड - प्यार ,
अपनी छत क्योँ हुई पराई ?
यौवन मेँ बचपन सोता है ,
खोती बचपन की अंगराई ,
अल्हड. जीवन खो जाता है ,
आती जीवन मेँ तन्हाई ।
उड. जाता ममता का आँचल ,
खो जाती उसकी गहराई ,
लाड - प्यार जाते देखा है ,
आकर जाना ही लेखा है ।
फिर से ममता की बारिश हो ,
नई दृष्टि पा जाए जीवन ,
कदम बढे स्वच्छंद हमारा ,
काश ! अगर आ जाए बचपन ।
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