तुमसे जो याद मिला है वो याद रहने दो
जो मिला दर्द भरोसे में अब तो सहने दो
ज़िंदगी की जो हकीकत है वो पता है हमें
है ज़माना जो हकीकत के बाद कहने दो
मैं कभी मुरदा मछलियों सा जी नहीं सकता
मेरी आदत है कि उलटी दिशा में बहने दो
तुम मोहब्बत भी सियासत की तरह करते हो
बीच इनके जो है दीवार अब तो ढहने दो
'सारथी' सबको खुश कभी तू कर नहीं सकते
बात जो मह रहे दही-सी उनको महने दो
मैं कभी मुरदा मछलियों सा जी नहीं सकता
मेरी आदत है कि उलटी दिशा में बहने दो
तुम मोहब्बत भी सियासत की तरह करते हो
बीच इनके जो है दीवार अब तो ढहने दो
'सारथी' सबको खुश कभी तू कर नहीं सकते
बात जो मह रहे दही-सी उनको महने दो
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