अब तो रुखसार पे उनके नक़ाब सा क्यों है
इश्क़ में ए- मेरे- मौला हिसाब सा क्यों है
वो जो बस बेवफ़ा की ज़ात से थे
ज़िन्दगी उनके बिन लगे ख़राब सा क्यों है
जिनको चाहे तमाम उम्र कटी
अब वो यादों से भी जायेंगे ख़्वाब सा क्यों है
उसने गलती नहीं गुनाह किया
फिर भी आँखों में जो देखा जबाब सा क्यों है
इश्क़ की खोखली निधि जो हुये
'सारथी' चेहरे पे उनके रुआब सा क्यों है
इश्क़ में ए- मेरे- मौला हिसाब सा क्यों है
वो जो बस बेवफ़ा की ज़ात से थे
ज़िन्दगी उनके बिन लगे ख़राब सा क्यों है
जिनको चाहे तमाम उम्र कटी
अब वो यादों से भी जायेंगे ख़्वाब सा क्यों है
उसने गलती नहीं गुनाह किया
फिर भी आँखों में जो देखा जबाब सा क्यों है
इश्क़ की खोखली निधि जो हुये
'सारथी' चेहरे पे उनके रुआब सा क्यों है