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Friday 20 April 2012

जब भी तन्हा हुए तो आप याद आने लगे,

जब भी तन्हा हुए तो आप याद आने लगे,
भीड़ से किसलिये हम आपको छुपाने लगे.

आपने तो हमेँ हरवक्त बस रूलाया है,
फिर भी नाम सुनके आपका क्योँ मुस्कराने लगे.

हमने की लाख कोशिशेँ रूठ जाने की,
खुद ही खुद को क्यो इस कदर मनाने लगे.

यकीँ है आप ना भुल पायेँगे हमेँ,
करीब होके भी दूरियाँ क्योँ जताने लगे.

चल ही लेता गर नहीँ भी मिलते,
सारथी को राह क्योँ दिखाने लगे.

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