हैं लोग हर तरह के कहते मेरे शहर में
बदन लौह है दिल मोम रखते मेरे शहर में
हर ओर हरियाली , खुशहाली संग में
सब मिलके बस्तियां बनाते मेरे शहर में
हर कौम से अलग मजहब है हमारा
हैं पाठ प्यार का पढ़ाते मेरे शहर में
हर एक छत के नीचे बस मिलते आदमी
है इन्सान सभी रहते मेरे शहर में
हर एक के लिए है हर एक सारथी
है मिलके बोझ उठाते मेरे शहर में
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