वो हमें देख कर मुस्कराते रहे
अपनी पलकें गिराकर उठाते रहे
प्यार उनको भी है ये यकीं है हमें
वो छुपाते रहे, हम जताते रहे
उनकी आँखे जो गहरा समंदर लगे
वो चुराते रहे, फिर मिलते रहे
हुश्न की शोख़िया भी गज़ब देखिये
हम जो लिखते रहे वो मिटाते रहे
जिनको देखे बिना चैन आये नहीं
'सारथी' को हमेशा लुभाते रहे
अपनी पलकें गिराकर उठाते रहे
प्यार उनको भी है ये यकीं है हमें
वो छुपाते रहे, हम जताते रहे
उनकी आँखे जो गहरा समंदर लगे
वो चुराते रहे, फिर मिलते रहे
हुश्न की शोख़िया भी गज़ब देखिये
हम जो लिखते रहे वो मिटाते रहे
जिनको देखे बिना चैन आये नहीं
'सारथी' को हमेशा लुभाते रहे
आशीर्वाद
ReplyDeleteआपने ही दादी को फेसबुक से हटाया फिर भी कॉल किया
आज भी किया