उनकी यादो में सारे ग़ज़ल हमने लिखा
लब की उदासी, दिल विकल हमने लिखा
जब भी कोई पूछता क्या इश्क़ तुमने भी किया
नयन कैसे हो गए मेरे सज़ल हमने लिखा
जिनकी खातिर ज़िन्दगी में हर खुशी क़ुर्बान की
बेवफाई की वो कैसे की पहल हमने लिखा
न तो लफ़्फ़ाज़ी लिखी न शौक से हमने लिखा
जो थे बीते ज़िन्दगी में आजकल हमने लिखा
एक उम्र तक बाँहों को मेरे जो समझता था निधि
'सारथी' को छोड़ भाये अब महल हमने लिखा
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