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Tuesday, 11 March 2014

मैंने देखा है।

मैंने देखा है, कई बच्चों को,
उन्हें भी जो चाकलेटी दुनिया में भटकते हैं,
उन्हें भी जो दानें-दानें को तरसते हैं,
मैंने देखा है।

मैंने देखा है, उन बच्चों को,
जो पढ़ने पाठालय जाते हैं,
उन्हें भी जो कमाने को सताये जाते हैं ,
मैंने देखा है।

मैंने देखा है, उन बच्चों को,
जो कभी ज़िद पर खाना खाते है,
उन्हें भी जो खाना देख ललचाते है,
मैंने देखा है।

मैंने देखा है, उन बच्चों को,
जो इठलाने को रोते हैं,
उन्हें भी जो आंसू को रोते हैं,
मैंने देखा है।

मैंने देखा है, उन बच्चों को,
जो दुध  से रोते हैं,
उन्हें भी जो दुध को रोते हैं,
मैंने देखा है।

 मैंने देखा है, कई आँखों में,
कोई खुशी के आंसू लिए रोते हैं,
कोई ग़म और कसक लिए सोते है
मैंने देखा है, क्या आपने भी ………। 

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