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Saturday, 16 March 2019

तेरे साथ हर जमाना अच्छा लगे हमें

तेरे साथ हर जमाना अच्छा लगे हमें
तुझे हरवक़त सताना अच्छा लगे हमें

तू खुश रहे हमेशा, रहे आरज़ू यही
तेरा यूँही मुस्कराना अच्छा लगे हमें

वो चाँद-बदरी होंगे ग़ज़ल की किताब में
तेरे जुल्फ का हटाना अच्छा लगे हमें

कुछ बात तो छुपाना तहे दिल से चाहें हम
हर बात को बताना अच्छा लगे हमें

आदत मेरी हमेशा आवारा हो भले ही
तेरा मुझपे हक़ जताना अच्छा लगे हमें

  

Thursday, 14 March 2019

खेत हरदम तुम्हारी फ़िक्र किया करते है



अपने खेतों की बात तुम भलें करो न करो
खेत हरदम तुम्हारी फ़िक्र किया करते है

वो जो मशगूल हैं बस धर्म की सियासत में
क्या किसानों का कभी दर्द बयां करते है 

ऐसा नहीं की हमने चाहत नहीं की है

ऐसा नहीं की हमने चाहत नहीं की है
हां सच है किसी की कभी आदत नहीं की है 

ये गुमां हमें होता रहा बरसो मैं क्या कहूँ 
सच ये भी है किसी से अदावत नहीं की है 

है चाँद जो रहे तो रहे अपनी जगह पे 
जो भी मिला नशीब में, खयानत नहीं की है

है आरज़ू मुझे तेरी, कैसे कहूँ भला  
मैंने कभी भी खुल के वज़ाहत नहीं की है 

तेरी बात, मुस्कराहट, ये शोख़ी, बांकपन 
वरना कभी किसी पे हैरत नहीं की है 

Saturday, 29 September 2018

दिल्ली है रामराज, पी.एम. राम हो गये

कुछ हो गये रहीम तो कुछ राम हो गये
कुछ दोनों को मिला के आशाराम हो गये

सरकार की तरफ से ये फरमान आ गया
दिल्ली है रामराज, पी.एम. राम हो गये

सियासत की जंग में जब मोहरा ही धर्म हो
तो क्या गज़ब कि हर तरफ कोहराम हो गये

बहनों की सुरक्षा को अब दिन नहीं हैं दूर
ले नारी रूप पैदा परशुराम हो गये

हालत वतन की आज, ऐसी है 'सारथी'
अल्लाह कहो या राम बस हराम हो गये 

Thursday, 18 January 2018

मैंने तो इश्क़ भी करी है इबादत की तरह

तेरी यादों में दिन-ब-दिन सँवर गया हूँ मैं
ये न पूछो कि हूँ ज़िंदा या मर गया हूँ मैं

गो कि हर सुबह मैं खुद को समेट जगता हूँ
शाम आते ही क्यों लगता बिख़र गया हूँ मैं

अब तो आवाज़ भी तेरी मुझे नहीं सुनती
तेरी मंज़िल से भी आगे गुज़र गया हूँ मैं

मैंने तो इश्क़ भी करी है इबादत की तरह
ये न कहना कि वफ़ा से मुकर गया हूँ मैं

जो कभी 'सारथी' के दिल में बसे होते थे
देख साया भी उनका अब तो डर गया हूँ मैं