रौशनी बजते पटाखें, इक दिवाली ये भी है
दिल में फिर भी उदासी, इक दिवाली ये भी है
जिंदगी की दौड़ में और जीतने की होड़ में
हो गयी घर से ही दूरी, इक दिवाली ये भी है
जगमगाते दीप भी हैं चकचकाती रौशनी
फिर भी है दिल में अंधेरा, इक दिवाली ये भी है
हर तरफ बजते पटाखे मुस्कराते लब लिये
फिर भी ये कैसी उदासी, इक दिवाली ये भी है
देख मिट्टी के घरोंदे, याद घर की आ गयी
अपनों की यादों सहारे, इक दिवाली ये भी है