तेरी ज़ुल्फो के नीचे ही मेरी हर शाम हो जाये
जरा पलके उठा दो तुम ज़ाम पे ज़ाम हो जाये
रहेंगे हम तेरे आशिक़, क़यामत के दिनों तक भी
रहा न डर हमें अब तो भले बदनाम हो जाये
मिटा दो सरहदें दिल की ,गिरा दो हर दीवारे अब
करो कुछ यों मोहब्बत कि मोहब्बत आम हो जाये
बहुत कर ली दग़ा तुमने , बहुत सह ली ज़फ़ा हमने
अग़र हम भूले तुमको तो खुद ही ग़ुमनाम हो जाये
'सारथी' ने मोहब्बत की इबादत यों करी समझो
वफ़ा कर ले अग़र कोइ तो वो नीलाम हो जाये