जबसे तुने मुझे किया तन्हा ,
मर के हरपल को मै जिया तन्हा
गो की दिल पर हुए थे जख्म बड़े ,
दिल के जख्मों को फिर सिया तन्हा
वक़्त रोने के जब कोई कांधा न मिला ,
सबसे छुप करके रो दिया तन्हा
कैसे कर लूं किसी पे फिर से यकीं ,
जबकि तुमने मुझे किया तन्हा
यु तो सच है की मैं नही पीता,
तुने दी गम तो पी लिया तन्हा
No comments:
Post a Comment